Saturday, September 26, 2015

कल रात.…


नींद न मिली और न आप के पल,
लम्हे सब बिखरे मिले सारी रात को कल.....

सोचते रहे सब यादों के भंवर,
कहे कुछ हमें या चले अपने घर.....

करवटों को भी रहा कुछ गुरूर,
समेट लिए उसने सब सुकून के वजूद....

बेकरार से बेकार लगे हम,
मुददतों बाद बेहोश मिले हम.....

शुरुआत


न बात हुई पहले न मुलाकात कभी,
धड़क रहे है दिल फिर भी हर रात यूँही.…

चाहत है गहरी और अब होश है कम,
परखिये इस दिल को कही बहक न जाए हम....

शिद्दत न करिये इन यादों से अभी,
वक़्त है बाकी सोचिये ज़रा और सही....

पहचान


घुल जाइये इन साँसों में ज़रा,
महक तो ले हम अपने प्यार की फ़िज़ा.…

तराश लू ज़रा अपनी जिस्मेवफ़ा,
रह न जाए कही ये भी एक खलसफ़ा....




जरूरी तो नही...


हाँ हमें प्यार है, पर बताना जरूरी तो नहीं

हद से ज्यादा है, पर जताना जरूरी तो नहीं

अंदाजेबयां है हर पहलु, पर होंठों पे लाना जरुरी तो नही.

एक तड़प है आँखों में दोनों तरफ, पर नजरें चुराना जरूरी तो नही.

साथ है अपना निर्मल सच्चा, पर इसे हरपल आजमाना जरूरी तो नही...

स्मरण


अफ़साना तेरा इस कदर नब्ज मे घुल चुका है,
लहू भी मेरा अब लाल हो चला है....

शिद्दतें ये मेरी क्या अब गुनाह है,
नहीं समझेंगे आप इश्क़ अब बेपनाह है....

इक ख़ुशी जो मेरी तुझसे जुड़ी है,
उसके बिना ये जिंदगी अब अधूरी है....

इतनी शिददत से तू अब मुझसे जुड़ा है.
गर हमसफ़र बने तो मान लेंगे कि खुदा है…

Sunday, July 5, 2015

कल रात में

कुछ तो छुआ मुझे कल रात में,

सिरहन सी हुई उस जवाब से…
निर्मल पवित्र उस प्यार से…

सोचा न था,
ऐसा भी फिर कभी होगा,
मेरे हाथों में फिर कोई साथ होगा…

रंगीन सी लगने लगी जिंदगी फिर से आज...

न जाने क्यों ये आगाज़ हुआ...
चंद ही दिनों में अनजान से जान हुआ...

मिल गयी है नयी सांसें इस प्राण में...
बहुत कुछ बदल गया कल रात में...

Saturday, February 22, 2014

मुस्कराहट छीन लेते है जब अपने
नब्ज़ थम सी जाती है लगने....

वक़्त का कोई मोल नहीं लगता,
नींद का आभास भी नहीं मिलता....

याद करना भी अब हो नहीं पता,
क्यूंकि भूल जाना नहीं आता....

एहसास भी क्यूँ लगते है सपनें,
मुस्कराहट छीन लेते है जब अपने।


Friday, February 21, 2014

हाले दस्तूर

खुशनसीब शाम अब साथ नहीं रहती,
जिंदगी की भी अब पहचान नहीं रहती....

बेवजह उसी मोड़ पे छूट गयी है सांसें....
जी लेने की भी उन्हें अब फरमाइश नहीं रहती....

दिल-ऐ-मुक्कद्दर अब ये मंज़ूर नहीं होता,
देखते है हलफनामा कब तक कबूल नहीं होता....

एक मुस्कराहट कैसे जिंदगी बन गयी हमारी,
थे कुछ हालात जो जिंदगी लुटा भी दिये हमारी.... 

वेदना

माँ अक्सर कहती है याददाश्त कमज़ोर हो गयी है,
उन्हें क्या पता याद बर्दाश्त नहीं होती है .... 

आज भी

तुमसे मिलने की चाहत आज भी है.....
तुम्हारी जुल्फों के साये में उम्र बिताने कि चाहत आज भी है …

दीवानो सी वो मेरी हालत आज भी है ....
इश्क़ है बेपनाह तुमसे, पर ज़माने से छुपाने कि आदत आज भी है....

बढ़ चुके हो तुम आगे पर ,मेरी आस आज भी है ….
खवाब तुम्हारे संग देखने कि 'इबादत' आज भी है ....
कुछ बूँदें आ जाती है अक्सर, पर इन आँखों की चमक आज भी है ....

खुशबु वो  दिल में आज भी है....
मिल जाना 'कभी' वक़्त मिल जाए, उस पल में जिंदगी जी लेने कि याद आज भी है ....


कोई बात नहीं

तुम नहीं साथ तो कोई बात नहीं,
रह गयी है कई बात पर कोई बात नहीं,

बदल है गयी लम्हों की रीत पर कोई बात नहीं,
बिछड़ गयी है साँसों की तकदीर पर कोई बात नहीं,

याद न रहे मेरी तस्वीर तो कोई बात नहीं,

निष्प्राण भी हो जाए हम कभी फिर भी कोई बात नहीं.........

Monday, June 4, 2012

फिर जाती है उंगलियाँ उन परछाइयों  पर कभी,
और बंद हो जाती है नज़र
शुरू होता है  का सफ़र, 
 सोचते है समेटेंगे अपने यादों के भंवर पर सिलसिले ये कम  नहीं है,
अब शायद बिन आप हम नहीं है,

Sunday, January 1, 2012

बीता है दिसम्बर

फिर से बीता है कल दिसम्बर,
याद कराता रहा कुछ साल पहले का मंजर....


जहन में है अभी भी वो छाप अन्दर,
मिट जायेंगे हम फिर भी न मिटेगा समंदर....

फिर से तबियत पर दिखा असर,
क्यूँ करती रही इंतज़ार हमारी हर नज़र....

सपना था गहरा या सच थी कसर,
साथ चलने को इख्तियार नहीं दिल अब और सफ़र....


Sunday, November 6, 2011

वक़्त है कम

वजूद नहीं मिलता अब फुर्सत की शाम में,
नित दिन है कोशिशें कौड़ियों के दाम में....

गुजर जाती है रात एक इशारा नहीं मिलता,
आँखों में नींद का नज़ारा भी नहीं दिखता....

रंजिशें है बढ़ गए चित और चेतना के,
लम्बें है लम्हे अब इस हृदय वेदना के.....

अब ज़िन्दगी है छोटी और वक़्त है कम,
मिल जाओ हमसे शायद फिर न मिले हम.....



Friday, October 14, 2011

चित वेदना

हम इंतज़ार करते रहे,
वो बेकरार सोते रहे.....

हम सपनो को रोकते रहे,
वो खवाबो में सोचते रहे.....

हम इश्क दिखाते रहे,
वो मोहब्बत दबाते रहे.....

हम दूरियों को मिटाते रहे,
वो नजदीकियां छिपाते रहे.....

हम फुर्सत से हँसाते रहे,
वो नादानियों से हमें रुलाते रहे.....

हम कुण्डलियाँ मिलाते रहे,
वो मंगल दोष दिखाते रहे.....

हम तकल्लुफ गिराते रहे,
वो मजबूरियाँ गिनाते रहे.....

हम बेहिसाब मरते रहे,
वो वादों का हिसाब करते रहे.....


Wednesday, November 17, 2010

आत्मव्यथा

वक़्त बन के चल देते है लोग कभी,
गुजरे साथ पहेलियों में फेर देते है कही....

ढूँढ नही पाते है उन पहलुओ की नमी,
अक्सर हम रो लेते है सिरहाने में कही....

शाम को तनहा हर दिन बहलाते है यही,
खो देते है खुद को तेरे तहखाने में कही....

बेपरवाह ही तखल्लुस हो गया है अबी,

मंजिलों से भी मुह फेर लेते है कही....



Monday, July 12, 2010

इबादतें-इश्क

बेमिजाज बारिश से आज मुलाकात हुई,
सुर्ख होठों की नरमी भी आज बेईबादत मिली....

उलझे से नम गेसूओं की बहार में,
हर वो तड़पन भी आज उस पार दिखी....

अंतर्द्वंद था अन्दर आगोश में न भर ले,
बाहों की भंवर इतनी सुलझी सी मिली....

शहनाई है सजी बेहोश बैरन तन्हाई में,
इश्क की मंजिल में इबादत जो दिखी....

Thursday, July 8, 2010

ग़मगीन सासें

भाग रही है ग़मगीन सांसें,
मेरे इस मैखाने से....
मै भी बस पी रहा हूँ सागर,
दुनिया को इस कदर भुलाने में....

खामोश हो रही है निगाहें,
बेचैनियों से मुझे मिटाने में....
मै भी जी चुका हूँ हर लम्हा,
वो दो कदम साथ निभाने में....

Wednesday, May 26, 2010

करवटें है इन पलकों में

ये करवटें है इन पलकों में,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....

मंद मंद सच कह रही सांसें,
पार हो गए है हम प्रेम की बाज़ी....

सोच में सजे है सेज के बादल,
थाम भी लो अब मुझे अपने आँचल...

है बेकरार अब ये मादक रातें,
रोज़ ही बहलाती है आते जाते....

इश्क के छींटे हो चले है पाजी,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....

Monday, May 24, 2010

कहती है कश्तियाँ

कह रही है कश्तियाँ,
दूर ठहरेंगे आज हम....
साहिल पे अक्सर मंजिलें
नही मिलती....

यू ही
कट जाती है जिंदगी अकेले,
पर अंधेरो में कभी आँख नही लगती....

कह्कशे ही बचते है इस मुसाफिर खाने में,
इश्क की फिर कभी प्यास नही लगती....

कहती रहती है कश्तियाँ,
लहरों पे अपना आशियाना अच्छा,
साहिल की अक्सर हमें सही राह नही दिखती....

Monday, May 17, 2010

डूबते लम्हे

लम्बी हो गयी थी अपनी सांसें,
मिट रही थी जाते जाते....
शहनाईयाँ थी लहरों की साथ साथ,
रो पड़ी थी वो भी किनारे आते आते....


बीच मझधार में बातों की आड़ में,
कतरा कतरा मेरा तड़पता मिला ....
अंश अंश से रूबरु था आँचल,
रुसवाइयों से पर हारता मैं चला....

अंधेड़ रात में, बंदिशों की दीवाल पे,
हर इक लकीर बनाता मैं मिला....
नब्जो के जाल में थी जिंदगी,
खुद ही हर नब्ज़ मिटाता मैं चला....

Sunday, May 16, 2010

शिकायतों के दौर थे...

शिकायतों के कुछ यूँ दौर चले,
कुछ छोटे कुछ बड़ी ओर चले.....

हर इक लम्हे की याद थी उनमे,
मेरे प्रेम की कुछ फ़रियाद थी उनमे....

छोटी सी उन खूबसूरत आँखों में,
मेरे प्रेम से सजी कई बात थी उनमें....

मै ख़ामोशी से उन्हें संजोता रहा,
खुद की बैचिनी भिगोता रहा....

नित दिन कोशिशें करता रहा,
उस हसीं के लायक मै होता रहा....

एहसास कभी न ये उसको रहा,
मै उस बिन कितना मरता रहा....

आज जब उन शिकायतों के दौर नही,
क्यूँ वो नज़रें हमारी ओर नही....

बदल के मुझको इस ज़माने में,
क्यू वो आज नए दौर चले....

Thursday, May 13, 2010

ख्वाहिश

चंद फुर्सत के लम्हें जी रहा हूँ,
ख्वाहिशों के इन बादलों में....

सिलवटो में बेरोजगार है यूं,
इश्क भी ऐसे ही काफिलो में....

नादान है अब इश्क की तबियत,
रंगीनियत से इन फासलों में....

है ये बस मासुमिअत या बेकरारी,
ख्वाहिशों के इन बादलों में....

चंद फुर्सत के लम्हें जी रहा हूँ,
आप ही के इन काज़लों में....

Sunday, April 11, 2010

लम्हें कुछ इस तरह बीते है.....

हिचकिचाहट भरी इन झलकियों से,
किनारों पे मचलती इन कश्तियो में,

हर लम्हा कुछ इस तरह बीते है.....

बूंदों की परछाइयों सा ही साथ है ,
सिलवटो में महकती साँसें बस हाथ है.....

भीगे
कदमो से बस मै बढ़ता चला,
ख्वाब के आंगन भिगोता चला....

बूंदों ने जब कभी पैमाइश की,
मै खामोश सा सागर में प्रेम पिरोता रहा....

मैखानो में ही अब सपने जीते है.....
हर लम्हें कुछ इस तरह बीते है.....

Friday, April 9, 2010

मन की बातें

मन से मन की बात थी बस,
पर क्यूँ फैली है इस आँगन में.....

परे हो रही है यादें,
मै रह गया प्यासा इस सावन में.....

अंकुरित है अब मेरी सांसें,
शोभित है नए मन की बाहें.....

बंद मुठ्ठी खोल चले है,
बिन फेरे हम नयी ओर चले है.....

है शुक्रिया हम पर इश्क के,
संग जिसके नए दौर खुले है....

है मन की ही बात ये बस,
प्रेमसिन्चित एहसास है बस.....

Tuesday, March 23, 2010

अगर तुम मिलो तो सही.....

प्यार के भंवर गहरे से हैं,
नित नए रंग छलके से हैं,
ज़र्रे ज़र्रे में मै दीवाना सही.....

मगर तुम मिलो तो कही.....

अंदाज़ ये हैरान से है,
शबनम से तुम पे बह से गए है.....
अपनों में मै बैगाना सही,

मगर तुम मिलो तो सही.....

फूलों की सरगम पे है,
सपनो की मंजिल सी है....
खूबसूरत साथ आशिकाना सही,

अगर तुम मिलो तो सही.....

Thursday, March 11, 2010

अभिलाशा

अभिलाशा की गुंजाइश न हो,
क्यूँ मन विचलित शाम न हो ....
अंधियारों में भी रात न हो ,
फिर क्यूँ आंसुओं के जाम न हो....

गेसूओं के आराम न हो,
और प्यार के दो काम हो....
रन्गीनिअत भरी इन बाँहों में,
इश्क का कहीं नाम न हो......

जब जिंदगी तुम बिन रास न हो,
फिर क्यूँ हम संग साथ न हो....
जब तुम से कोई ख़ास न हो,
तो जन्नत से कम ये बात न हो....

Wednesday, February 24, 2010

ये दूरियाँ

फासले हो रहे है भारी,
मर जाएगी अब प्रीत हमारी.....

पन्नों में सब सम्मिहित है ये,
ना समझे तो है उलझने हमारी ...

बढ़ रही है मन की हिलोरें,
दूर क्यू हो रही है मंजिल की डोरें....

प्रेम पतिता है जो दिल से सवारीं,
भूल ना जाए कही ये रीत हमारी....

फासले हो रहे है भारी,
मर जाएगी अब प्रीत हमारी.....

Thursday, February 11, 2010

दो पल के कारवां

अजनबी सा ये साथ है...
पहलु में मासूमियत ख़ास है..
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....
बंदिशों में हो रहा समाँ है,
दिल तब भी हसीन है जवाँ है....
तकल्लुफ है बस लफ्ज़ में,
अंखियों में पर जन्नत बयाँ है....
मग्न सी इन रंगीन राह में,
लहराई जुल्फों की छाँव में,
मासूमियत की खुशबु है....
खूबसूरती का साथ है...
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....

Monday, February 8, 2010

भीगी रात

भीगी सी बूंदों पे शरमाहट है,
कमसिम से आज क्यूँ खोये से है....

झिलमिल सी चांदनी बिखरी है,
ख़ामोशी से क्यूँ बेखबर से है....

बातें है आँखों में आसमाँ जितनी,
पर लफ्ज़ क्यूँ हमारे सोये से है....

इश्क और निष् से रूबरू है,
फिर कागजों में क्यूँ भिगोये से है....

ये मोती भी तो सपने ही है,
पर अंधेरों में संजोये से क्यूँ है....

भीगी सी बूंदों पे शरमाहट है,
कमसिम से आज क्यूँ खोये से है....

Sunday, January 24, 2010

मुस्कुराती मसरुफियत

मुस्कुराती है मसरुफियत मेरी,
संगीनियत सी है अब ये पहेली ...

हर लम्हा है एक नज्म फेरी,
ऐसे ही जिंदा है मसरुफियत मेरी.....

इन शब्दों में कुछ ख़ास है,
अंतर्मन में आप ही आप है....

कारवां ये अभी भी अहम् है,
दिल्लगी में क्यूँ इतने वहम है....

तिनके सी दूर है अब चिंगारी,
किनारों पे क्यूँ मिलती है मंजिल हमारी....

Friday, January 1, 2010

तेरे संग

गुनगुनाते हुए दिन थे,
कुछ मीठे कुछ तुम बिन थे.....

गलियों में फिरते,
सपनो में रहते,
जन्नत में संग हम थे....

आँखों में हर बात,
एहसास में हर पल पास,
कितने अच्छे हम संग थे....

शर्मीली शरारत हसीन प्यार,
आगोश में भी कई रंग थे,
गुनगुनाते हुए दिन थे,
जब जब हम संग थे....

Thursday, December 3, 2009

बेगारियत

कोशिशों से निहित है ये,
मसरूफ दिल की बातें....

तसल्ली से घायल है अब,
मेरी उलझी उलझी साँसें....

स्याही में डूब गयी है,
चंद पल की बरसातें....

ख़ामोशी से है नैन,
ढूंढते है कुछ सुकून की रातें....

कोशिशों से निहित है ये,
मसरूफ दिल की बातें....

नई सी सोच है बन गयी,
पैमानों से है फिर भी रोज़ टकराते.....

Sunday, November 22, 2009

मनः स्थिति

बिन तुम मेरी प्रीत साँची,
तुम बिन जीवन सूखी पाती.....

अग्न सी मेरे मन में आती,
बुझ न जाए कही जीवन बाती....

कोशिशों से थक सा रहा हूँ,
क्यूँ नही कोई राह है भाती....

Saturday, November 14, 2009

जन्मदिवस

झिलमिल सी आंखों में डूबी है खुशियाँ,

नजराना ही कुछ ऐसा है आज....

ख्वाबों सी अब सजी है दुनियाँ,

जीवन
की है आज नई शुरुआत....

हर कोई है आज नया किरदार,

संभाले रखिये इस दोस्ती के तार....

Wednesday, October 28, 2009

अंतर्मंशा

इस संजीदगी से बहके है हम...
रातों से भी अब होती है बात,
नित घुलती है आपकी याद...
ये रात भी कितनी पागल है,
पल पल जोड़े है कैसे ख्याल..

मंशा तो मेरी है तुमसे ही सजती,
फिर न जाने क्यों है ऐसे हालात...
सांचों में भी मूरत नही मिलती,
इतनी हसीन है सूरत दिखती...

इस
संजीदगी से मैंने चाहा,
अंतर्मन में है बसा क्यूँ पाया...
इस कशिश को मैंने अपना बनाया,
बिन तेरे मै क्यों जी न पाया...

Wednesday, September 30, 2009

प्रेम पतिता


फ़िदा है ये साज़ हमारे,

निहित है इनमे राज़ सारे....

छंद छंद में प्रेम मोह,

शब्दों में भी यही रोग है....

अनूठे से अलंकार,

भाव विभोर
वो नित ओर है ...

अमृत
है प्रेम रस,

पिरोये संग जो प्रीत है ...

इन छंद पे है नाज़ हमारे,

फ़िदा है ये साज़ सारे....


Monday, September 14, 2009

खामोशी

.


इस खामोशी का कोई जवाब नहीं,
अंदाजे खुशी है तो कोई बात नहीं....

नब्जों में है अब तस्वीर वही,
उस तस्वीर किनारे मै फ़कीर सही....

लहराई जुल्फों की है कोई आस नहीं,
बस कुछ लम्हों की ये बात नही.....

अब लम्हों के है कोई पल ही नही,
पल पल के लम्हों की है बात नयीं.....

हो जाए अगर तो ये ख्यालात नहीं,
प्रेम है ये कोई सौगात नहीं.....


.

Wednesday, September 2, 2009

नजराना

.


असर छोडा है कुछ यूँ इस अंदाज़ से,
होश में ही नही उस हसीन से जवाब से.........

पलके है टिकी उस महकते से ख्वाब से,
इक नजराना है मिला मुझे इस लिहाज़ से.......

सोच है ये साची, जानते है ये आप से,
सपनो में जो है रहे अब वो प्यार से.......

सिमटी है दुनिया कुछ ऐसे ही ख्याल से,
मर मिटे है हम तेरे उस सवाल से.....



..

Tuesday, August 18, 2009

कशमकश

कशमकश में है ये साँसे,
बतलाती है कितनी बातें....

कुछ ढूंढती है राहें,
पर मिल जाती है फिर से रातें....

मशक्कत सी है अब मेरे दिल में,
कुछ अंदाज़ है फिर भी गाते.....

अजब गजब सी है ये बातें,
मचल रही है अब मेरी साँसे....

परिचित सा है एहसास ये ख़ास,
जन्मो से है वो मेरे इतने पास....



.

Saturday, August 1, 2009

एहसास

इक बूँद से ये एहसास है....
कोई कैसे इतने पास है।
मेरी नज्मों का वो साज़ है....
अब हर पल वो मेरे साथ है।

अन्तरंग में एक छवि सी है सजी....
वो बूँद है मेरी आंखों में बसी।
संजोये है मेरी साँसे सजल....
बांधे है मेरी खुशियों के पल।

मासूम से मेरे अल्फाज़ है....
पर अब वो मेरी सरताज है।
इक बूँद से ये एहसास है....
कोई कैसे इतने पास है

Sunday, July 26, 2009

सोच

इन पलकों के दरम्यान.....
है अब कहानी मेरी।
रहे अब वहाँ खुशी.....
यही है मानी मेरी

लफ्जों में भी न बात है.....
ऐसी है कहानी मेरी।
आंखों ही में मुलाकात है.....
कितनी है वो सयानी मेरी॥

सपनो में भी अब साथ है.....
प्यारी है वो रानी मेरी।
नूर सा बस गया हूँ.....
क्यूँ न रहे वो दीवानी मेरी॥

इन पलकों
के दरम्यान,
ही अब है जिंदगानी मेरी...

Monday, July 20, 2009

चंद पाती..

तुमसे ही...
छुप छुप के,
भीगी स्याही से....
लिखे है चंद पाती.....

तुमसे दूरियां....
कब नजदीकियां गई,
ये एहसास है ये कराती.....

बहके बहके से अक्षर...
है कैसे खुराफाती...
मेरी नजरो से देखो.....
है पल पल ये तुम्हे निहारती...

छवि सी है....
ये तेरी बनाती,
उन्हें ही देखते हुए....
लिखता हु मै ये चंद पाती.....


Sunday, July 19, 2009

तेरी मूरत

आगाज़ है उस मोड़ से,
जिस पर कही अंत नही...
ये सफर है तेरे मेरे प्रेम का,
जिससे मै जुड़ा हुआ हूँ...

रोज़ इक नई सड़क है,
वहाँ भी तेरी ही मूरत है..
तस्लीफ से उसे
देखता ही रहता हूँ...
उसी की तरफ़ बढता रहता हूँ...

ये सफर है तेरे मेरे प्रेम का,
जिससे मै जुड़ा हुआ हूँ...

दो रास्ता भी जब,
अगर कभी पाया है..
एक पे गम,
दुसरे पे तेरी खूबसूरत काया है ...

ये सफर है तेरे मेरे प्रेम का,
जिससे मै जुड़ा हुआ हूँ...
अब जिसका कही अंत नही....

Saturday, July 18, 2009

अजब सी मिठास

कुछ लफ्ज़ हमारे यूँ बिखरे,
स्याही ने भी कदम कुरेद दिए..
सोच में ही अभी थे हम,
और संजीदे खींच गए..

कुछ अजब ही मिठास थी आज,
अंतराग्नि तक वे बस गए..
मिश्री सी थी जैसे आज स्याही में,
बहकते ही चले गए..

मोह में थे जनाब के,
पर असर ही कुछ ऐसा हुआ..
आज लफ्जों से ही प्रेम कर गए..



Friday, July 17, 2009

मिटते पल

पल पल मिट रहे कल है,
चार पल हम है..
चार पल को कल है ..
सब कल की ही बात है..
जितने भी मेरे पल है।

सपने भी अब केवल पल है,
मेरी भीगी आंखों का जल है..
अब बस कुछ ही पल है..
जो अब मेरा कल है।

पल पल मिट रहे कल है,
चार पल हम है..
चार पल को कल है.....

Monday, July 13, 2009

बिन फेरे हम तेरे

ऐसा क्यूँ हो रहा है,
नब्ज़ ही नहीं अब होश में,

रोज़ इक नया जन्म है,
इन फेरों से मशक्कत में,

मीठी सी मुस्कान लिए रहता हूँ,
तेरे ही सवेरों में..

है
बिन फेरे हम तेरे,
फिर क्यूँ है तू इन फेरों में...

संजिली बूँदें

पलकों के झरोखों से झांकते,
खामोश नज्मे भी पढ़ते है,
फिर क्यूँ सजने से डरते है ये नयन तरसे।

इन महकती बूंदों की कवायद नही ये,
की आज ये राज़ भी हमें बता दिया,

सहमे हुए थे हम,
पर संजीले रंग में नहला दिया।

तिनके का घरौंदा

बेखबर साँसों में एक रूह नहमी है,
थाम लू आज इस सिसकते वक़्त को,

पर होठों पे उनके कुछ लफ्ज़ है,
फिर कैसे रोकूँ इस वक़्त को,

भंवर मे अब है दिल,
तिनके संजोये बैठा है,
उस घरौंदे में,
जिसने उसे जाना ही नहीं है ।

सपनो का महल

भीगी पलकों की आहट सी हुई,
जाने हमें चाहत सी हुई,

चंद लफ्जो का आगाज़ सा लगा,
फिर एक सपनो का महल सा सज़ा।

परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन