Sunday, July 26, 2009

सोच

इन पलकों के दरम्यान.....
है अब कहानी मेरी।
रहे अब वहाँ खुशी.....
यही है मानी मेरी

लफ्जों में भी न बात है.....
ऐसी है कहानी मेरी।
आंखों ही में मुलाकात है.....
कितनी है वो सयानी मेरी॥

सपनो में भी अब साथ है.....
प्यारी है वो रानी मेरी।
नूर सा बस गया हूँ.....
क्यूँ न रहे वो दीवानी मेरी॥

इन पलकों
के दरम्यान,
ही अब है जिंदगानी मेरी...

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

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