Wednesday, September 30, 2009

प्रेम पतिता


फ़िदा है ये साज़ हमारे,

निहित है इनमे राज़ सारे....

छंद छंद में प्रेम मोह,

शब्दों में भी यही रोग है....

अनूठे से अलंकार,

भाव विभोर
वो नित ओर है ...

अमृत
है प्रेम रस,

पिरोये संग जो प्रीत है ...

इन छंद पे है नाज़ हमारे,

फ़िदा है ये साज़ सारे....


Monday, September 14, 2009

खामोशी

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इस खामोशी का कोई जवाब नहीं,
अंदाजे खुशी है तो कोई बात नहीं....

नब्जों में है अब तस्वीर वही,
उस तस्वीर किनारे मै फ़कीर सही....

लहराई जुल्फों की है कोई आस नहीं,
बस कुछ लम्हों की ये बात नही.....

अब लम्हों के है कोई पल ही नही,
पल पल के लम्हों की है बात नयीं.....

हो जाए अगर तो ये ख्यालात नहीं,
प्रेम है ये कोई सौगात नहीं.....


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Wednesday, September 2, 2009

नजराना

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असर छोडा है कुछ यूँ इस अंदाज़ से,
होश में ही नही उस हसीन से जवाब से.........

पलके है टिकी उस महकते से ख्वाब से,
इक नजराना है मिला मुझे इस लिहाज़ से.......

सोच है ये साची, जानते है ये आप से,
सपनो में जो है रहे अब वो प्यार से.......

सिमटी है दुनिया कुछ ऐसे ही ख्याल से,
मर मिटे है हम तेरे उस सवाल से.....



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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन