Tuesday, March 23, 2010

अगर तुम मिलो तो सही.....

प्यार के भंवर गहरे से हैं,
नित नए रंग छलके से हैं,
ज़र्रे ज़र्रे में मै दीवाना सही.....

मगर तुम मिलो तो कही.....

अंदाज़ ये हैरान से है,
शबनम से तुम पे बह से गए है.....
अपनों में मै बैगाना सही,

मगर तुम मिलो तो सही.....

फूलों की सरगम पे है,
सपनो की मंजिल सी है....
खूबसूरत साथ आशिकाना सही,

अगर तुम मिलो तो सही.....

Thursday, March 11, 2010

अभिलाशा

अभिलाशा की गुंजाइश न हो,
क्यूँ मन विचलित शाम न हो ....
अंधियारों में भी रात न हो ,
फिर क्यूँ आंसुओं के जाम न हो....

गेसूओं के आराम न हो,
और प्यार के दो काम हो....
रन्गीनिअत भरी इन बाँहों में,
इश्क का कहीं नाम न हो......

जब जिंदगी तुम बिन रास न हो,
फिर क्यूँ हम संग साथ न हो....
जब तुम से कोई ख़ास न हो,
तो जन्नत से कम ये बात न हो....

परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन