Sunday, April 11, 2010

लम्हें कुछ इस तरह बीते है.....

हिचकिचाहट भरी इन झलकियों से,
किनारों पे मचलती इन कश्तियो में,

हर लम्हा कुछ इस तरह बीते है.....

बूंदों की परछाइयों सा ही साथ है ,
सिलवटो में महकती साँसें बस हाथ है.....

भीगे
कदमो से बस मै बढ़ता चला,
ख्वाब के आंगन भिगोता चला....

बूंदों ने जब कभी पैमाइश की,
मै खामोश सा सागर में प्रेम पिरोता रहा....

मैखानो में ही अब सपने जीते है.....
हर लम्हें कुछ इस तरह बीते है.....

Friday, April 9, 2010

मन की बातें

मन से मन की बात थी बस,
पर क्यूँ फैली है इस आँगन में.....

परे हो रही है यादें,
मै रह गया प्यासा इस सावन में.....

अंकुरित है अब मेरी सांसें,
शोभित है नए मन की बाहें.....

बंद मुठ्ठी खोल चले है,
बिन फेरे हम नयी ओर चले है.....

है शुक्रिया हम पर इश्क के,
संग जिसके नए दौर खुले है....

है मन की ही बात ये बस,
प्रेमसिन्चित एहसास है बस.....

परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन