Wednesday, February 24, 2010

ये दूरियाँ

फासले हो रहे है भारी,
मर जाएगी अब प्रीत हमारी.....

पन्नों में सब सम्मिहित है ये,
ना समझे तो है उलझने हमारी ...

बढ़ रही है मन की हिलोरें,
दूर क्यू हो रही है मंजिल की डोरें....

प्रेम पतिता है जो दिल से सवारीं,
भूल ना जाए कही ये रीत हमारी....

फासले हो रहे है भारी,
मर जाएगी अब प्रीत हमारी.....

Thursday, February 11, 2010

दो पल के कारवां

अजनबी सा ये साथ है...
पहलु में मासूमियत ख़ास है..
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....
बंदिशों में हो रहा समाँ है,
दिल तब भी हसीन है जवाँ है....
तकल्लुफ है बस लफ्ज़ में,
अंखियों में पर जन्नत बयाँ है....
मग्न सी इन रंगीन राह में,
लहराई जुल्फों की छाँव में,
मासूमियत की खुशबु है....
खूबसूरती का साथ है...
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....

Monday, February 8, 2010

भीगी रात

भीगी सी बूंदों पे शरमाहट है,
कमसिम से आज क्यूँ खोये से है....

झिलमिल सी चांदनी बिखरी है,
ख़ामोशी से क्यूँ बेखबर से है....

बातें है आँखों में आसमाँ जितनी,
पर लफ्ज़ क्यूँ हमारे सोये से है....

इश्क और निष् से रूबरू है,
फिर कागजों में क्यूँ भिगोये से है....

ये मोती भी तो सपने ही है,
पर अंधेरों में संजोये से क्यूँ है....

भीगी सी बूंदों पे शरमाहट है,
कमसिम से आज क्यूँ खोये से है....

परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन