Thursday, February 11, 2010

दो पल के कारवां

अजनबी सा ये साथ है...
पहलु में मासूमियत ख़ास है..
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....
बंदिशों में हो रहा समाँ है,
दिल तब भी हसीन है जवाँ है....
तकल्लुफ है बस लफ्ज़ में,
अंखियों में पर जन्नत बयाँ है....
मग्न सी इन रंगीन राह में,
लहराई जुल्फों की छाँव में,
मासूमियत की खुशबु है....
खूबसूरती का साथ है...
दो पल ही के कारवां है,
पर मीलों लम्बी दास्ताँ है....

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

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