Saturday, September 26, 2015

कल रात.…


नींद न मिली और न आप के पल,
लम्हे सब बिखरे मिले सारी रात को कल.....

सोचते रहे सब यादों के भंवर,
कहे कुछ हमें या चले अपने घर.....

करवटों को भी रहा कुछ गुरूर,
समेट लिए उसने सब सुकून के वजूद....

बेकरार से बेकार लगे हम,
मुददतों बाद बेहोश मिले हम.....

शुरुआत


न बात हुई पहले न मुलाकात कभी,
धड़क रहे है दिल फिर भी हर रात यूँही.…

चाहत है गहरी और अब होश है कम,
परखिये इस दिल को कही बहक न जाए हम....

शिद्दत न करिये इन यादों से अभी,
वक़्त है बाकी सोचिये ज़रा और सही....

पहचान


घुल जाइये इन साँसों में ज़रा,
महक तो ले हम अपने प्यार की फ़िज़ा.…

तराश लू ज़रा अपनी जिस्मेवफ़ा,
रह न जाए कही ये भी एक खलसफ़ा....




जरूरी तो नही...


हाँ हमें प्यार है, पर बताना जरूरी तो नहीं

हद से ज्यादा है, पर जताना जरूरी तो नहीं

अंदाजेबयां है हर पहलु, पर होंठों पे लाना जरुरी तो नही.

एक तड़प है आँखों में दोनों तरफ, पर नजरें चुराना जरूरी तो नही.

साथ है अपना निर्मल सच्चा, पर इसे हरपल आजमाना जरूरी तो नही...

स्मरण


अफ़साना तेरा इस कदर नब्ज मे घुल चुका है,
लहू भी मेरा अब लाल हो चला है....

शिद्दतें ये मेरी क्या अब गुनाह है,
नहीं समझेंगे आप इश्क़ अब बेपनाह है....

इक ख़ुशी जो मेरी तुझसे जुड़ी है,
उसके बिना ये जिंदगी अब अधूरी है....

इतनी शिददत से तू अब मुझसे जुड़ा है.
गर हमसफ़र बने तो मान लेंगे कि खुदा है…

परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन