अफ़साना तेरा इस कदर नब्ज मे घुल चुका है,
लहू भी मेरा अब लाल हो चला है....
शिद्दतें ये मेरी क्या अब गुनाह है,
नहीं समझेंगे आप इश्क़ अब बेपनाह है....
इक ख़ुशी जो मेरी तुझसे जुड़ी है,
उसके बिना ये जिंदगी अब अधूरी है....
इतनी शिददत से तू अब मुझसे जुड़ा है.
गर हमसफ़र बने तो मान लेंगे कि खुदा है…
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