Sunday, July 5, 2015

कल रात में

कुछ तो छुआ मुझे कल रात में,

सिरहन सी हुई उस जवाब से…
निर्मल पवित्र उस प्यार से…

सोचा न था,
ऐसा भी फिर कभी होगा,
मेरे हाथों में फिर कोई साथ होगा…

रंगीन सी लगने लगी जिंदगी फिर से आज...

न जाने क्यों ये आगाज़ हुआ...
चंद ही दिनों में अनजान से जान हुआ...

मिल गयी है नयी सांसें इस प्राण में...
बहुत कुछ बदल गया कल रात में...

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

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