कोशिशों से निहित है ये,
मसरूफ दिल की बातें....
तसल्ली से घायल है अब,
मेरी उलझी उलझी साँसें....
स्याही में डूब गयी है,
चंद पल की बरसातें....
ख़ामोशी से है नैन,
ढूंढते है कुछ सुकून की रातें....
कोशिशों से निहित है ये,
मसरूफ दिल की बातें....
नई सी सोच है बन गयी,
पैमानों से है फिर भी रोज़ टकराते.....
Thursday, December 3, 2009
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