Wednesday, September 30, 2009

प्रेम पतिता


फ़िदा है ये साज़ हमारे,

निहित है इनमे राज़ सारे....

छंद छंद में प्रेम मोह,

शब्दों में भी यही रोग है....

अनूठे से अलंकार,

भाव विभोर
वो नित ओर है ...

अमृत
है प्रेम रस,

पिरोये संग जो प्रीत है ...

इन छंद पे है नाज़ हमारे,

फ़िदा है ये साज़ सारे....


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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन