Wednesday, September 2, 2009

नजराना

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असर छोडा है कुछ यूँ इस अंदाज़ से,
होश में ही नही उस हसीन से जवाब से.........

पलके है टिकी उस महकते से ख्वाब से,
इक नजराना है मिला मुझे इस लिहाज़ से.......

सोच है ये साची, जानते है ये आप से,
सपनो में जो है रहे अब वो प्यार से.......

सिमटी है दुनिया कुछ ऐसे ही ख्याल से,
मर मिटे है हम तेरे उस सवाल से.....



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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

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