Friday, July 17, 2009

मिटते पल

पल पल मिट रहे कल है,
चार पल हम है..
चार पल को कल है ..
सब कल की ही बात है..
जितने भी मेरे पल है।

सपने भी अब केवल पल है,
मेरी भीगी आंखों का जल है..
अब बस कुछ ही पल है..
जो अब मेरा कल है।

पल पल मिट रहे कल है,
चार पल हम है..
चार पल को कल है.....

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन