Saturday, July 18, 2009

अजब सी मिठास

कुछ लफ्ज़ हमारे यूँ बिखरे,
स्याही ने भी कदम कुरेद दिए..
सोच में ही अभी थे हम,
और संजीदे खींच गए..

कुछ अजब ही मिठास थी आज,
अंतराग्नि तक वे बस गए..
मिश्री सी थी जैसे आज स्याही में,
बहकते ही चले गए..

मोह में थे जनाब के,
पर असर ही कुछ ऐसा हुआ..
आज लफ्जों से ही प्रेम कर गए..



No comments:

Post a Comment

परिचय

My photo
प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन