Monday, July 20, 2009

चंद पाती..

तुमसे ही...
छुप छुप के,
भीगी स्याही से....
लिखे है चंद पाती.....

तुमसे दूरियां....
कब नजदीकियां गई,
ये एहसास है ये कराती.....

बहके बहके से अक्षर...
है कैसे खुराफाती...
मेरी नजरो से देखो.....
है पल पल ये तुम्हे निहारती...

छवि सी है....
ये तेरी बनाती,
उन्हें ही देखते हुए....
लिखता हु मै ये चंद पाती.....


No comments:

Post a Comment

परिचय

My photo
प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन