तुमसे ही...
छुप छुप के,
भीगी स्याही से....
लिखे है चंद पाती.....
तुमसे दूरियां....
कब नजदीकियां गई,
ये एहसास है ये कराती.....
बहके बहके से अक्षर...
है कैसे खुराफाती...
मेरी नजरो से देखो.....
है पल पल ये तुम्हे निहारती...
छवि सी है....
ये तेरी बनाती,
उन्हें ही देखते हुए....
लिखता हु मै ये चंद पाती.....
No comments:
Post a Comment