Thursday, July 8, 2010

ग़मगीन सासें

भाग रही है ग़मगीन सांसें,
मेरे इस मैखाने से....
मै भी बस पी रहा हूँ सागर,
दुनिया को इस कदर भुलाने में....

खामोश हो रही है निगाहें,
बेचैनियों से मुझे मिटाने में....
मै भी जी चुका हूँ हर लम्हा,
वो दो कदम साथ निभाने में....

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

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