ये करवटें है इन पलकों में,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....
मंद मंद सच कह रही सांसें,
पार हो गए है हम प्रेम की बाज़ी....
सोच में सजे है सेज के बादल,
थाम भी लो अब मुझे अपने आँचल...
है बेकरार अब ये मादक रातें,
रोज़ ही बहलाती है आते जाते....
इश्क के छींटे हो चले है पाजी,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....
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