Wednesday, May 26, 2010

करवटें है इन पलकों में

ये करवटें है इन पलकों में,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....

मंद मंद सच कह रही सांसें,
पार हो गए है हम प्रेम की बाज़ी....

सोच में सजे है सेज के बादल,
थाम भी लो अब मुझे अपने आँचल...

है बेकरार अब ये मादक रातें,
रोज़ ही बहलाती है आते जाते....

इश्क के छींटे हो चले है पाजी,
जिसमे हुस्न गुलजार हैं राज़ी .....

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन