बेमिजाज बारिश से आज मुलाकात हुई,
सुर्ख होठों की नरमी भी आज बेईबादत मिली....
उलझे से नम गेसूओं की बहार में,
हर वो तड़पन भी आज उस पार दिखी....
अंतर्द्वंद था अन्दर आगोश में न भर ले,
बाहों की भंवर इतनी सुलझी सी मिली....
शहनाई है सजी बेहोश बैरन तन्हाई में,
इश्क की मंजिल में इबादत जो दिखी....
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