Sunday, November 22, 2009

मनः स्थिति

बिन तुम मेरी प्रीत साँची,
तुम बिन जीवन सूखी पाती.....

अग्न सी मेरे मन में आती,
बुझ न जाए कही जीवन बाती....

कोशिशों से थक सा रहा हूँ,
क्यूँ नही कोई राह है भाती....

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परिचय

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प्रेम में सिंचित कुछ रचनाएँ मेरी भीगी स्याही से.......

भक्तजन