हम इंतज़ार करते रहे,
वो बेकरार सोते रहे.....
हम सपनो को रोकते रहे,
वो खवाबो में सोचते रहे.....
हम इश्क दिखाते रहे,
वो मोहब्बत दबाते रहे.....
हम दूरियों को मिटाते रहे,
वो नजदीकियां छिपाते रहे.....
हम फुर्सत से हँसाते रहे,
वो नादानियों से हमें रुलाते रहे.....
हम कुण्डलियाँ मिलाते रहे,
वो मंगल दोष दिखाते रहे.....
हम तकल्लुफ गिराते रहे,
वो मजबूरियाँ गिनाते रहे.....
हम बेहिसाब मरते रहे,
वो वादों का हिसाब करते रहे.....
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