नींद न मिली और न आप के पल,
लम्हे सब बिखरे मिले सारी रात को कल.....
सोचते रहे सब यादों के भंवर,
कहे कुछ हमें या चले अपने घर.....
करवटों को भी रहा कुछ गुरूर,
समेट लिए उसने सब सुकून के वजूद....
बेकरार से बेकार लगे हम,
मुददतों बाद बेहोश मिले हम.....
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